न्यूज़ स्टॉपेज डेस्क
अक्सर हम भीषण गर्मी से बचने के लिए जून माह के नहीं आने की कामना करते हैं। वहीं सिमडेगा जिले के ग्रामीण वर्षों से इसी माह के आने का इंतजार करते हैं। क्योंकि यह वह महीना है जहां बिना पूंजी के ही ग्रामीणों की तिजोरी भरती है। इस वर्ष भी सिमडेगा के ग्रामीणों के लिए मौसम मेहरबान है। इन दिनों सिमडेगा के जंगलों में जामुन फल की भरमार है। जिसको बेच कर ग्रामीण अपना तिजोरी भर रहे हैं। वैसे तो सिमडेगा में इसकी खेती नहीं होती। फिर भी जंगलो में बड़े पैमाने पर पाए जाते हैं। जिसकी डिमांड न सिर्फ झारखंड के विभिन्न इलाकों तक ही सीमित है। बल्कि झारखंड और बिहार के जायके को भी मजबूत कर रहा है। सिमडेगा का जामुन जोड़ाबिल, पटना, गया, बक्सर, बिहार शरीफ, सासाराम, डेहरी सहित अन्य शहरों में भेजा जा जाता है। जानकारी के अनुसार सिमडेगा से रोजाना लगभग दो हजार टन बहार भेजा जाता है। जलडेगा के सिर्फ एक पंचायत कुटुंगिया से तो तो रोजाना 20 टन तक जामुन बहार भेजा जाता है। वहीं जलडेगा प्रखंड की अगर बात करें तो यहां से रोजाना 200 टन जामुन भेजा जाता है। सिमडेगा में जामुन 30 से 35 रुपये प्रति किलो के हिसाब से बिकता है। वहीं बहार के राज्यों में इसकी कीमत दो गुणा से तीन गुणा तक बढ़ जाती है। अमेजन में तो जामुन की कीमत आसमान छू रही है। यहां जामुन 1500 रुपये तक में बिक रहा है।
15 से 20 दिनों में होता है करोडों का कारोबार
सिमडेगा में जामुन का कारोबार सिर्फ 15 से 20 दिनों का होता है। पर महज 15 से 20 दिन के अंतराल में यह जामुन का कारोबार करोड़ो रूपये तक पहुंच जाता है। यही कारण है कि जामुन ग्रामीणों के आर्थिक स्वावलंबन का जरिया बना है। जामुन बेचकर कई परिवारों की जिंदगी संवर रही है। जबकि कई ग्रामीण जामुन बेचकर ही अपने बच्चों को बेहतर तालीम दे रहे हैं।
वनोत्पाद की हो सरकारी दर पर बिक्री तो रूक सकता है पलायन
गौरतलब है कि सिमडेगा जिला जंगलो और वनों से आच्छादित है। यहां के जंगलों हर सीजन अलग अलग फल प्रचुर मात्रा में पाया जाता है। जामुन, लाह, महुआ, चिरौंजी, बेर, करंज, जामुन, कटहल, आम, लीची, केंदू पत्ता, महुआ का फल जैसे न जीने कितने ही अनगिनत फल व अन्य वनोत्पाद पाए जाते हैं। लेकिन सरकारी दर पर इसकी खरीदारी कभी नहीं होती। बिचौलिये ग्रामीणों से औने पौने दामों पर खरीद लेते हैं। इससे ग्रामीणों को उतनी मोटी रकम नहीं मिल पाती है। जितना मिलना चाहिए। अगर सरकार इसपर ध्यान दे और सरकारी दर में वनोत्पाद की खरीदारी करे तो सिमडेगा के लाखों लोगों को सालों भर रोजगार मिलेगा। साथ पलायन भी रुक सकती है।
जामुन में पाया जाता है प्रोटीन और कैल्शियम
जामुन प्रकृति में अम्लीय और कसैरा होता है, एवं स्वाद में मीठा होता है, इसमें ग्लूकोज और प्रक्टोज दो मुख्य स्त्रोत होते हैं। जामुन के बीज में कार्बोहाइड्रेट प्रोटीन और कैल्शियम की अधिकता होती है, साथ ही इसमें विटामिन बी, कैरोटिन, मैग्नीशियम, और फाइबर होते हैं इन्हीं गुणवत्ता के कारण शरीर के अन्य बीमारी जैसे – एनीमिया,मधुमेह, मसूड़ों से संबंधित बीमारी, लीवर से संबंधित बीमारी, पेट की समस्या, आवाज की समस्या सहित और भी बीमारी में कारगर साबित होती है इसके साथ इसका शराब भी बनाया जाता है ।