न्यूज़ स्टॉपेज डेस्क
उत्तरकाशी के सिल्क्यारा सुरंग में 17 दिनों तक फंसे मजदूर मंगलवार को सकुशल बाहर आ गए। टनल में फंसे 41 मजदूरों को लंबी जद्दोजहद के बाद बाहर निकाला गया। टनल में फंसे मजदूरों के रेस्क्यू के लिए सरकार ने ऐड़ी-चोटी का जोर लगा दिया था। सेना को भी रेस्क्यू ऑपरेशन के लिए उतारना पड़ा था। रेस्क्यू का काम करने के लिए बुलाए गए तमाम एक्सपर्ट और अत्याधुनिक मशीन जब फेल हो गई तो रैट माइनर्स ने हाथों से ही पहाड़ को खोद कर रेस्क्यू का काम किया। टनल के अंदर फंसे मजदूर को निकालने में सबसे अहम भूमिका कुरैशी और उसकी टीम ने निभाई। टनल के अंदर मजदूरों से सबसे पहले मिलने वाले शख्स का नाम मुन्ना कुरैशी है। मुन्ना की टीम को ही टनल में आखिरी 12 मीटर का मलबा हटाने का स्पेशल टास्क मिला था।
दिल्ली से स्पेशल रूप से मुन्ना की टीम को बुलाया गया
इस रेस्क्यू ऑपरेशन के कई हीरो हैं। मगर उनमे भी रैट माइनर्स के लीडर मुन्ना कुरैशी सबसे खास हैं। दिल्ली के राजीव नगर इलाके में रहने वाले मुन्ना कुरैशी 29 साल के हैं। वे रैट माइनर्स की एक कंपनी चलाते हैं। उनकीकंपनी सीवर और पानी की लाइनों को साफ करने का काम करती है। उत्तरकाशी टनल में फंसे मजदूरों को निकालने के लिए आखिरी 12 मीटर का मलबा हटाने के लिए सोमवार को कुरैशी की ही टीम को दिल्ली से उत्तरकाशी स्पेशल रूप से बुलाया गया गया। मुन्ना और उनकी टीम ने हाथों से मलबा साफ कर मजदूरों को बाहर निकलने के लिए रास्ता बनाया।
हाईटेक मशीन में खराबी के बाद मुन्ना की टीम ने संभाला था काम
उत्तरकाशी टनल में फंसे मजदूरों को बाहर निकालने के लिए सोमवार को अमेरिका निर्मित बरमा मशीन अचानक खराब हो गई थी। इसके बाद टनल में फंसे मजदूरों को निकालने की उम्मीद धूमिल हो गई थी। ऐसे में बचाव अभियान के लिए रैट माइनर्स को चुना गया। दिल्ली के मुन्ना कुरैशी और उनकी टीम को ये जिम्मेदारी सौंपी गई। आपको बताते चलें कि रैट माइनर्स छोटे-छोटे गड्ढे खोदकर कोयला निकालने की एक विधि को कहा जाता है। मगर अवैज्ञानिक होने के कारण 2014 में एनजीटी ने कोयला निकालने की विधि के रूप में इसे प्रतिबंधित कर दिया था।
टनल में मजदूरों के साथ आधे घंटे तक थी कुरैशी की टीम
मुन्ना कुरैशी के साथ टीम में मोनू कुमार, वकील खान, फ़िरोज़, परसादी लोधी और विपिन राजौत अन्य रैट माइनर्स भी शामिल थे। इस टीम ने बेहद कठिन ऑपरेशन में अपनी जान को दांव पर लगाकर टनल में फंसे हुए लोगों तक पहुंचे। ऑपरेशन के संबंध में मुन्ना कुरेशी ने बताया कि उन्होंने मंगलवार शाम को आखिरी चट्टान हटाई और 41 फंसे हुए श्रमिकों को देखा। मुझे देखते ही मजदूरों में गले से लगा लिया। सबने तालियां बजाईं और मुझे धन्यवाद दिया। मालूम हो कि फंसे हुए लोगों को निकालने के लिए एनडीआरएफ के आने से पहले मुन्ना कुरैशी की टीम आधे घंटे तक वहीं थी।