– विभिन्न राज्यों के मुख्यमंत्रियों को अपनी-अपनी सीमाओं तक की सीमित रहना होगा?
- न्यूज स्टॉपेज डेस्क
झारखंड में मुख्यमंत्री हेमंत सोरेन के नेतृत्व में गठबंधन की सरकार बनी है। तब से केंद्र सरकार और भाजपा द्वारा येन-केन-प्रकारेण षड्यंत्र रच कर सरकार गिराने के कई प्रयास किए गए। जिसमें हर बार उन्हें मुंह की खानी पड़ी है। ये बातें जेएमएम महासचिव सह प्रवक्ता विनोद कुमार पांडेय ने कही। उन्होंने कहा कि सभी राजनैतिक प्रयासों के दुरुपयोग के पश्चात अब केंद्र सरकार और भाजपा संवैधानिक संस्थाओं का दुरुपयोग कर रही है।
कैमरे के समक्ष पूछताछ की गई
दिनांक 20 जनवरी 2024 को ईडी के अधिकारियों के द्वारा मुख्यमंत्री हेमंत सोरेन से सात घंटे से अधिक अवधि तक कैमरे के समक्ष पूछताछ की गयी। जिसमें उन्होंने सभी पूछे गए प्रशनों का जवाब दर्ज करवाया था। विगत डेढ़ माह के अंदर, 12 दिसम्बर 2023, 15 जनवरी 2024 तथा आज 29 जनवरी 2024 को हेमंत सोरेन द्वारा ईडी कार्यालय को भेजे गए पत्र के ज़रिए जानकारी दी गयी है।
पूछताछ के नाम पर ईडी कितना समय चाहता है
साढ़े तीन करोड़ की जनता द्वारा लोकतांत्रिक तरीके से चुने हुए एक मुख्यमंत्री से पूछताछ के नाम पर ईडी के अधिकारी कितना समय चाहते हैं? पूछताछ के तीन-चार दिनों के अंदर ही पुनः एक समन जारी कर दिया जाता है और कहा जाता है कि उन्हें तीन-चार दिनों के अंदर ही पुनः जवाब दर्ज करवाने आना है। मुख्यमंत्री के तौर पर स्वाभाविक तौर पर तीन से चार सप्ताह का पूर्व निर्धारित कार्यक्रम होता है। उन्हें प्रशासनिक दायित्वों के निर्वाहन के साथ-साथ राजनीतिक दायित्वों का भी निर्वहन करना पड़ता है।
ईडी की गतिविधि में छुपी राजनीति को समझते हैं
इन परिस्थितियों के बावजूद ईडी की गतिविधि में छुपी राजनीति को समझते हुए भी हेमंत सोरेन ने ईडी अधिकारियों को 31 जनवरी 2024 दोपहर 1 बजे का समय पूछताछ के लिए अपनी उपलब्धता प्रेषित की है। जिससे वह राज्य के सामान्य जन की नजर में कानून एवं केंद्र सरकार की एजेंसियों का सम्मान बचा रहे हैं। विदित हो कि 29 जनवरी 2024 और 31 जनवरी 2024 को भी मुख्यमंत्री को जिला मुख्यालय में उपस्थित होकर राज्य की गरीब जनमानस के बीच लोक-कल्याणकारी एवं महत्वकांक्षी अबुआ आवास योजना का हजारों जरूरतमंद लाभुकों के बीच स्वीकृति पत्र वितरित करना था।
आखिर ऐसी क्या जल्दबाजी थी कि 2 दिन नहीं किया इंतेजार
इन सबके बीच ईडी के द्वारा अनायास मुख्यमंत्री हेमंत सोरेन के दिल्ली स्थित सरकारी आवास पर 29 जनवरी 2024 को आग्नेयास्त्रों से लैस सैकड़ों जवानों के साथ सुबह-सुबह पहुंचना विधि सम्मत प्रतीत नहीं होता है। आखिर ऐसी क्या जल्दबाजी थी कि ईडी के अधिकारी पूछताछ के लिए दो दिन भी इंतज़ार नहीं कर सकते थे और वह भी तब जब एक हफ्ते पहले ही सात घंटे की पूछताछ हो चुकी थी? क्या यह एक मुख्यमंत्री के मान-सम्मान के साथ-साथ राज्य की साढ़े तीन करोड़ जनता का अपमान नहीं है? क्या ईडी जैसी संवैधानिक संस्थाएं भाजपा की हाथ की कठपुतली बन कर रह गयी है? क्या इन एजेंसियों के माध्यम से अब राज्यों में सरकारें बनायी या गिरायी जाएंगी? क्या राज्य के मुख्यमंत्रियों को केंद्र सरकार देश की राजधानी आने पर कुछ भी कर सकती है? क्या अब देश के विभिन्न राज्यों के मुख्यमंत्रियों को अपनी-अपनी सीमाओं तक की सीमित रहना होगा?