राज्यसभा में अमित शाह ने किया दिल्ली सर्विस बिल पेश, सिंघवी बोले- यह संघीय ढांचे के खिलाफ

न्यूज स्टॉपेज डेस्क
राज्यसभा में सोमवार को केंद्रीय गृह मंत्री अमित शाह ने दिल्ली सर्विस बिल पेश किया। जिसके बाद कांग्रेस सांसद अभिषेक मनु सिंघवी ने चर्चा की शुरुआत करते हुए इस बिल को संघीय ढांचे के खिलाफ बताया। उन्होंने कहा कि इस बिल के पास होने के बाद मुख्यमंत्री दो सचिवों के नीचे आएगा यानी सचिव फैसला करेगा और मुख्यमंत्री देखेंगे। उन्होंने यह भी कहा कि सभी बोर्डों, कमेटियों के प्रमुख सुपर-सीएम यानी गृह मंत्रालय से ही बनाए जाएंगे। सिंघवी ने चर्चा के दौरान यह भी कहा कि क्या निचले पायदान से लेकर ऊपर तक अफसर के लिए नीतियां आप बनाना चाहते हैं।

बिल का मकसद डर पैदा करना बताया
कांग्रेस के सांसद सिंघवी ने कहा कहा कि इस बिल का मकसद डर पैदा करना है। जो लोग इसका समर्थन कर रहे हैं या समर्थन करने की घोषणा कर चुके हैं, उन्हें यह सोचना चाहिए कि सबका नंबर आ सकता है। बताते चलें कि सिंघवी ने दिल्ली में प्रशासनिक सेवाओं पर नियंत्रण को लेकर ही सुप्रीम कोर्ट में केजरीवाल सरकार की तरफ से पैरवी की थी।

AAP और कांग्रेस ने अपने सांसदों के लिए जारी किया व्हिप
कांग्रेस और AAP ने अपने सांसदों को के लिए व्हिप जारी किया है कि वे राज्यसभा में मौजूद रहें। दूसरी ओर, AAP सांसद राघव चड्ढा, कांग्रेस सांसद जेबी माथेर और नसीर हुसैन ने राज्यसभा में मणिपुर मुद्दे पर चर्चा करने के लिए रुल 267 के तहत नोटिस दिया है।

बीजू जनता दल और YSR कांग्रेस की मदद से पास हो सकता है बिल
विपक्षी दलों के गठबंधन I.N.D.I.A के सांसद इस बिल का विरोध करेंगे। हालांकि, NDA के पास राज्यसभा में अपना बहुमत नहीं है। हालांकि, केंद्र के लिए राहत की बात है कि बीजू जनता दल और YSR कांग्रेस के सांसद इस बिल का समर्थन करेंगे। मतलब इन दोनों पार्टियों के समर्थन से बिल राज्यसभा में पास हो सकता है। बताते चलें कि लोकसभा में इसे 3 अगस्त को पेश करने के बाद इसी दिन पास भी कर दिया गया।

SC के फैसले को पलटने के लिए लाया गया है ये अध्यादेश
सुप्रीम कोर्ट में 5 जजों की संविधान पीठ ने 11 मई 2023 को अफसरों पर कंट्रोल का अधिकार दिल्ली सरकार को दिया था। साथ ही कहा था कि उपराज्यपाल सरकार की सलाह पर ही काम करेंगे। इसके बाद 19 मई को केंद्र सरकार ने अध्यादेश लाकर इस फैसले को फिर बदल दिया और ट्रांसफर-पोस्टिंग का अधिकार राज्यपाल को दे दिया। इसी अध्यादेश की जगह लेने के लिए दिल्ली सर्विस बिल लाया गया है।

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