न्यूज स्टॉपेज डेस्क
कर्मचारी पेंशन योजना (EPS) से हायर पेंशन के लिए आवेदन करने की आखिरी तारीख आज यानी 26 जून 2023 को खत्म हो रही है। हालांकि, आवेदकों को EPFO पोर्टल के माध्यम से अपना आवेदन जमा करने में कई तकनीकी दिक्कतों का सामना करना पड़ रहा है। हायर पेंशन के लिए अप्लाय करने की ओरिजिनल डेडलाइन 3 मार्च थी, जिसे दो बार बढ़ाया जा चुका है। पहले इसे बढ़ाकर 3 मई और फिर 26 जून किया गया। यहां हम हायर पेंशन ऑप्शन के लिए अप्लाय करने की पूरी प्रोसेस और एलिजिबिलिटी के बारे में विस्तार से बता रहे हैं…
पहले प्रोविडेंट फंड के बारे में जानें, इससे हायर पेंशन ऑप्शन को समझना आसान होगा
हर EPFO मेंबर के दो अकाउंट होते हैं:
1. कर्मचारी भविष्य निधि (EPF)
2. कर्मचारी पेंशन योजना (EPS)
हर महीने एम्प्लॉई की बेसिक सैलरी और महंगाई भत्ता से 12% रकम काटकर EPF अकाउंट में जमा की जाती है। इतनी ही राशि एम्प्लॉयर भी एम्प्लॉई के अकाउंट में जमा करता है। हालांकि, एम्प्लॉयर का पूरा योगदान EPF अकाउंट में नहीं जाता। एम्प्लॉयर के 12% योगदान का बड़ा हिस्सा EPF और एक हिस्सा EPS अकाउंट में जाता है।
कर्मचारी पेंशन योजना 1995 यानी EPS-95 को 16 नवंबर 1995 को लागू किया गया था। EPS अकाउंट में मैक्सिमम कॉन्ट्रीब्यूशन के लिए 1 सिंतबर 2014 से पहले 5000/6500 रुपए का कैप था। इसके बाद कैप बढ़ाकर 15,000 कर दिया गया।
- 11.1995 से 07.10.2001 तक पेंशन कैप 5,000 रुपए था। यानी मैक्सिमम 417 रुपए ही EPS अकाउंट में जा सकते थे।
- 10.2001 से 31.08.2014 तक पेंशन कैप 6,500 रुपए था। यानी मैक्सिमम 541 रुपए ही EPS अकाउंट में जा सकते थे।
- 09.2014 से आज तक। पेंशन कैप 15000 रुपए कर दिया गया। यानी मैक्सिमम 1250 रुपए पेंशन फंड में जा सकते हैं।
इसे एक उदाहरण से समझते हैं:
मान लीजिए कि आप जनवरी 2010 में EPF स्कीम में शामिल हुए हैं। सैलरी (बेसिक + डीए) 20,000 रुपए थी। तो योजना में शामिल होने की तारीख से 31 अगस्त 2014 तक मंथली कॉन्ट्रीब्यूशन कुछ ऐसा होता: 6,500 रुपए का 8.33% = 541 रुपए। नियमों में बदलाव के बाद 1 सितंबर 2014 से योगदान: 15,000 रुपए का 8.33% = 1250 रुपए। यानी आपकी सैलरी 20,000 रुपए थी तब भी पेंशन फंड में कॉन्ट्रीब्यूशन कैप के हिसाब से होता।
हायर पेंशन क्या है?
मार्च 1996 में EPS-95 के पैरा 11(3) में एक प्रावधान जोड़ा गया। इसमें EPFO मेंबर्स को अपने पेंशन कॉन्ट्रीब्यूशन में पूरी सैलरी (बेसिक + महंगाई भत्ता) के 8.33% तक बढ़ाने की अनुमति दी गई। यानी उन्हें ज्यादा पेंशन पाने का मौका दिया गया। EPFO ने कर्मचारियों को हायर पेंशन योगदान के लिए जॉइंट ऑप्शन फॉर्म दाखिल करने के लिए केवल छह महीने का समय दिया था। जिन लोगों ने इस ऑप्शन को चुना था उनकी पूरी सैलरी का 8.33% कॉन्ट्रीब्यूशन पेंशन फंड में 31 अगस्त 2014 तक जाता रहा। नियमों में बदलाव के बाद 1 सिंतबर 2014 से पहले EPFO में शामिल हुए सभी लोगों को हायर पेंशन ऑप्शन चुनने का मौका दिया गया। इसके लिए 6 महीने की डेडलाइन तय की गई। जॉइंट ऑप्शन फॉर्म को भरने की आखिरी तारीख 28/02/2015 थी। कई कर्मचारियों ने कहा कि उन्हें इस बात की जानकारी ही नहीं थी कि हायर पेंशन के लिए उन्हें जॉइंट ऑप्शन चुनना है। कुछ ने कहा कि जॉइंट ऑप्शन चुनने के बाद भी उनके फॉर्म को रिजेक्ट कर दिया गया। ऐसे में कई कर्मचारी सुप्रीम कोर्ट पहुंच गए।
सुप्रीम कोर्ट ने अपने फैसले में 4 बड़ी बातें कही:
जो लोग 01/09/2014 को सर्विस में थे। उन्होंने जॉइंट ऑप्शन चुना, लेकिन रिजेक्ट हो गया। वो हायर पेंशन ऑप्शन चुन सकते हैं।
जो लोग 01/09/2014 को सर्विस में थे और उन्होंने जॉइंट ऑप्शन नहीं चुना, ऐसे लोग भी हायर पेंशन के लिए क्लेम कर सकते हैं।
जो लोग 01/09/2014 से पहले रिटायर हो चुके हैं। उन्होंने जॉइंट ऑप्शन चुना, लेकिन रिजेक्ट हो गया वे भी इसके लिए एलिजिबल हैं।
जो लोग 01/09/2014 से पहले रिटायर हो चुके हैं। उन्होंने जॉइंट ऑप्शन नहीं चुना। ऐसे लोग हायर पेंशन के लिए क्लेम नहीं कर सकते।
हायर पेंशन चुनने से क्या बदलेगा?
हायर पेंशन का ऑप्शन चुनने पर रिटायरमेंट के बाद मिलने वाला लमसम अमाउंट घट जाएगा, लेकिन पेंशन बढ़ जाएगी। जानकारों का मानना है कि इस योजना के फायदे और नुकसान दोनों हैं। अगर नौकरी में कुछ साल ही बचे हैं तो कर्मचारी का फोकस एकमुश्त राशि पर होना चाहिए। अगर नौकरी में अभी और साल बाकी हैं तो हायर पेंशन को एक विकल्प के तौर पर देखा जा सकता है।