न्यूज स्टॉपेज डेस्क
गुइलिन-बैरे सिंड्रोम के एक संदिग्ध मरीज को रिम्स के शिशु विभाग से मंगलवार को छुट्टी दे दी गई है। पहले से बच्ची बेहतर है। अब खुद से खाना खा रही है। मरीज के संबंध में रिम्स शिशु विभाग की एसोसिएट प्रोफेसर डॉ. सुनंदा झा ने बताया कि पेशेंट काफी गंभीर कंडीशन में आई थी। तब उसके पैर हाथ कुछ नहीं चल रहे थे। सांस लेने में भी तकलीफ थी। खाना भी नहीं खा पा रही थी। हाई फ्लो नेज़ल ऑक्सीजन में रखा गया था। लेकिन हमने उसका इलाज करते-करते हाई फ्लो ऑक्सीजन कम करते हुए उसे ऑक्सीजन से हटाया गया। धीरे-धीरे टेस्ट ट्यूब से खाना खिलाना शुरू किए। फिर सुधार हुआ और अब अपने से खाना खा रही है। सहारे से बैठ भी जा रही है। लेकिन पैरों में कमजोरी है। जो समय के साथ फिजियोथेरेपी से वह ठीक हो जाएगी। कुछ सप्ताह में पूरी तरह से स्वस्थ्य होने की उम्मीद है।
एक फरवरी को रिम्स में कराया गया था भर्ती
गुइलिन-बैरे सिंड्रोम की संदिग्ध मरीज को एक फरवरी को रिम्स में भर्ती कराया गया है। कोडरमा के इस मरीज का पूर्व में रांची के एक निजी अस्पताल में इलाज चल रहा था। मरीज़ के पास आयुष्मान कार्ड नहीं है और न ही इलाज के लिए पैसे बचे थे। तब उनके परिजनों ने किसी प्रकार अपर मुख्य सचिव अजय कुमार सिंह से संपर्क किया। जिसके बाद निदेशक प्रो (डॉ) राजकुमार ने मरीज को निजी अस्पताल से रिम्स में स्थानांतरित करा लिया था। यहां मरीज को शिशु रोग विभाग में हाई फ्लो नेज़ल ऑक्सीजन में रखा गया है। शिशु रोग विभाग में डॉ सुनंदा झा की देखरेख में मरीज को रखा गया था। अब मरीज पूरी तरह से ठीक हो गई है।