न्यूज़ स्टॉपेज डेस्क
रांची : चौधरी बगान हरमू रोड ब्रह्माकुमारी संस्थान में करम पूजा के पूर्व संध्या पर करम पूजा के आध्यात्मिक रहस्य को उद्घाटित करते हुए केन्द्र संचालिका ब्रह्माकुमारी निर्मला बहन ने कहा कि वृक्ष और प्रकृति पूजा का पर्व करमा उमंग उत्साह से प्रदेश भर में मनाया जाता है। वास्तव में भारत की आदि दैवी संस्कृति में प्रकृति सुखदायी सतोप्रधान थी। आज वही प्रकृति तमोप्रधान दुखदायी बन गई है।पहले सब सर्वगुण सम्पन्न सोलह कला सम्पूर्ण थे। प्रकृति और पुरुष में सुन्दर तालमेल था।
युगक्रम व कालक्रम में प्रकृति पुरूष का सामंजस्य खराब हो गया। पुरूष के कर्न, बोल और संकल्प जैसे-जैसे खराब होते गये प्रकृति भी खराब होती चली गई। अब प्रकृति फिर तमोप्रधान से सतोप्रधान हो जाये, मानव के लिए सुखदाई हो जाये, इसी भावना से द्वापर युग के आदि से हम लोगों ने प्रकृति की पूजा शुरू की है। वृक्ष और झाड़ से ही हमारा पर्यावरण निर्मित होता है। मानव फिर से पर्यावरण का अच्छा मित्र बनें, प्रकृति फिर अपने आदि मूल स्वरूप को प्राप्त कर सतयुगी विश्व का निर्माण करें। इसके स्मृति स्वरूप करमा का त्यौहार उसके आध्यात्मिक अर्थ में हम मनाते हैं कि आदमी का विचार और करम सुधरे। इस अवसर पर प्रकृति को मेडीटेशन के शुद्ध प्रकप्पन प्रवाहित किया गया। साथ ही ब्रह्माभोजन का भी आयोजन किया गया।
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