न्यूज़ स्टॉपेज डेस्क
रांची। खतियान आधारित स्थानीयता नीति झारखंड के मूलवासियों एवं आदिवासियों का सिर्फ एक मांग पत्र नहीं है। यह हमारे पूर्वजों का सपना है। जिसके लिए झारखंड की धरती ने बहुत कुर्बानियां दी है। यह आज की पीढ़ी का एक दृढ़ संकल्प भी है। हम इसके लिए वैधानिक ढांचों के अंतर्गत तब तक ईमानदारी से लड़ते रहेंगे जब तक इसे हासिल नहीं कर लेते। ये बातें आजसू पार्टी महाधिवेशन के दूसरे दिन आजसू के केंद्रीय अध्यक्ष सुदेश कुमार महतो ने कही। उन्होंने कहा कि स्व॰ विनोद बिहारी महतो एवं शहीद निर्मल महतो के बलिदान को व्यर्थ नहीं होने देगा। पूर्वजों ने इसके लिए अपनी जाने दी हैं और अब इसे हासिल करना हमारी जिद है। राज्य के दलित अल्पसंख्यक एवं पिछड़े तथा आदिवासी हमारा साथ दें, हम खतियान आधारित स्थानीयता नीति देंगे। मौजूदा सरकार राज के मूलवासी विशेषकर दलितों, पिछड़ों, आदिवासियों एवं अल्पसंख्यकों के साथ षडयंत्र कर रही है। उन्हें धोखा दे रही है। सदन में सरकार कहती है कि कानूनी रूप से खतियान आधारित स्थानीयता नीति संभव नहीं है, लेकिन सड़कों पर बड़े-बड़े पोस्टर चिपकती है कि हमने राज्य के मूलवासी- आदिवासी को 1932 खतियान आधारित स्थानीयता नीति दे दिया है। यह संयंत्र नहीं है तो क्या है।
… नियुक्ति हेतु विज्ञापन क्यों नहीं निकालती सरकार
सरकार अपने नियोजन नीति से 1932 खतियान आधारित स्थानीयता नीति से जोड़कर नियुक्ति हेतु विज्ञापन क्यों नहीं निकलती है। इस कानूनी उलझनों को सुलझाना उनकी जिम्मेदारी है जो सरकार में बैठे हैं। लेकिन यह सरकार वास्तव में दलितों पिछड़ों आदिवासियों एवं अल्पसंख्यकों के प्रति ईमानदार नहीं है। यह षड्यंत्रकारी सरकार है। आजसू पार्टी यह संकल्प लेती है कि हम इन वर्गों को इनका अधिकार, शहीदों के सपनों के अनुसार दिलाना सुनिश्चित करेंगे। हम कानूनी दांव पेच से निपटेंगे – बस आपका आशीर्वाद सहयोग और ऊर्जा की ताकत मुझे मिले। आप निराश मत हुए। अपने सपनों को जिंदा रखें। हम इसे साकार करेंगे।
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