अजमेर शरीफ दरगाह पर उंगली उठाने वाले देश के दुशमन: मौलाना कुुतुबुद्दीन रिजवी

न्यूज स्टॉपेज डेस्क 

एदार ए शरीया झारखंड के तत्वाधान में राची जिला के मस्जिदों के इमाम और चुनिंदा उलेमा की बैठक प्रदेश कार्यालय इसलामी मरकज रांची में हुई। बैठक की अध्यक्षा मौलाना सैयद अलकमा शिबली कादरी ने की। जबकि, एदार ए शरीया झारखंड के नाजिमे आला मौलाना कुतुबुद्दीन रिजवी ने संचालन किया। बैठक में दो प्रकार के एजंडे थे। पहला एजेंडा था कि दरगाह अजमेर शरीफ और देश के विभिन्न मस्जिदों व स्थानों पर सुनियोजित तरीके से खुदाई करवाने, सर्वे कराने के नाम पर देश में बडे पैमाने पर अराजकता फैलाने के विरुध निंदा प्रस्ताव लाने, देश को खुदाई गैंग का पर्दाफाश करना। दूसरा एजेंडा मस्जिद कमेटियों और इमामों के बीच बेहतर तालमेल पैदा करने के कारगर कदम उठाने पर बल देने से संबंधित था। बैठक में रांची शहर व ग्रामीन से बडी संख्या में मस्जिदों के इमाम व उलेमा शामिल हुए।

निंदा प्रस्ताव पारित, सीजीआई स्वयं लें संज्ञान
बैठक के उद्देश पर मौलाना कुतुबुद्दीन रिजवी एवं मौलाना ताजुद्दीन ने विस्तार से प्रकाश डाला। बैठक में शामिल उलेमा ने दरगाह ख्वाजा गरीब नवाज अजमेर शरीफ के अस्तित्व पर उंगली उठाने, सर्वे के नाम पर हमले की साजिश करने और देश विभिन्न हिस्सों में मस्जिदों और मुस्लिम अल्पसंख्यकों के धार्मिक स्थलों पर कब्जजा का षडयंत्र कर देश भर में बडे पैमाने पर अराजकता पैदा करने के प्रयासों का कड़ा विरोध किया गया। इस संबंध में मौलाना कुतुबुद्दीन रिजवी ने एक निंदा प्रस्ताव रखा जिसे सभी उपस्थित उलेमा नें पारित किया। साथ ही सीजीआई चीफ जस्टिस ऑफ इंडिया से अपील किया कि वे स्वयं संज्ञान लेकन लेकर देश खोदो गैंग के विरुद्व काररवाई करें।

मस्जिदों के बेहतर संचालन के लिए कमेटी गठित
दूसरे एजंडे पर विचार-विमर्श के बाद (तंजीमे अईम्म ए मसाजिद) नामक कमेटी का गठन किया गया। जिस के संगरक्षक मौलाना सैयद शाह अलकमा शिबली कादरी को बनाया गया। अध्यक्ष मौलाना डॉ0 ताजुद्दीन रिजवी, सचिव मौलाना अमीरुल हसन, केषाध्यक्ष मौलाना मिंहाजुद्दीन फारुकी, प्रवक्ता मौलाना इरफान मिसबाही व मौलाना कलीम अशरफ मिसबाही बनाए गए हैं। इनके अलावा 31 सदस्य कार्यकारणी बनाए गए। नव गठित तंजीम एदार ए शरीया झारखंड के अधीन होगी। इस तंजीम के माध्यम से मस्जिदों का सुचारु रूप से संचालन में सहायता, मस्जिद कमेटियों और इमामों के बीच बेहतर तालमेल पैदा होगा। इमामों की होनी वाली कठनाईयों पर निगाह रखी जाएगी।

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