न्यूज स्टॉपेज डेस्क
मणिपुर में 3 मई से शुरू हुई हिंसा खत्म होने का नाम ही नहीं ले रही है। मैतेई और कुकी समुदाय के बीच जारी हिंसा आज (3 अगस्त) को पूरे तीन महीने हो गए है। इस बीच गुरूवार को मैतेई समुदाय और सुरक्षाकर्मियों के बीच हिंसक झड़प हो गई। स्थिति इतनी बिगड़ गई कि सुरक्षाबलों को हवाई फायरिंग करने के साथ आंसू गैस के गोले छोड़ने पड़े। इस घटना में 17 लोग घायल हो गए हैं। मीडिया रिपोर्ट के अनुसार बिष्णुपुर में मैतेई समुदाय की महिलाओं ने बफर जोन को पार करने का प्रयास करने लगी। उन्हें असम राइफल्स ने रोकने की कोशिश की तो महिलाएं उनपर पथराव करने लगीं। जिसके बाद भीड़ को तितर-बितर करने के लिए असम राइफल्स के जवानों ने हवाई फायरिंग और आंसू गैस के गोले छोड़े। इधर, हिंसक झड़प के बाद इंफाल और पश्चिमी इंफाल में कर्फ्यू में दी गई ढील को वापस ले ली गई।
बाहर ले जाकर शव दफनाने की फैली अफवाह
बुधवार की रात अचानक से एक अफवाह फैली कि कुछ कुकी-जो लोगों के शव दफनाने के लिए बाहर ले जाने की तैयारी है। जिसके बाद इंफाल में रीजनल आयुर्विज्ञान संस्थान और जवाहरलाल नेहरू आयुर्विज्ञान संस्थान यानी दोनों अस्पतालों के पास भीड़ जमा हो गई। हालांकि, पुलिस ने भीड़ को किसी तरह समझा-बुझाकर शांत कराया। बताते चलें कि इंफाल के इन दोनों अस्पतालों की मॉर्च्युरी में इंफाल घाटी में हुई जातीय संघर्ष में मारे गए कई लोगों के शव रखे हुए हैं।
2 पत्रकार व 2 किशोर सहित 27 लापता
3 मई को हिंसा फैलने के बाद से राज्य में दो पत्रकारों और दो किशोरों समेत 27 लोग लापता हैं। इधर, इंफाल में अपुम्बा तेन्बांग लुप, पात्सोई विधानसभा क्षेत्र की महिलाओं ने 2 किशोरों का पता नहीं लगा पाने के विरोध में प्रदर्शन किया। महिलाओं का कहना था कि 26 दिन बाद भी किशोरों का पता नहीं चल पाया।
160 से अधिक लोगों की हो चुकी है मौत
मैतेई समुदाय को अनुसूचित जनजाति (SC) का दर्जा दिए जाने की मांग के विरोध में 3 मई को मणिपुर में ‘आदिवासी एकजुटता मार्च’ निकाला गया था। इसके बाद जातीय संघर्ष भड़क उठा। तीन महीने होने के बाद भी यह हिंसा थमने का नाम ही नहीं ले रहा है। जबकि, हिंसा के कारण अब तक160 से ज्यादा लोगों की मौत हो चुकी है। वहीं, 1000 से अधिक लोग घायल हुए हैं।
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