न्यूज स्टॉपेज डेस्क
शिमला। हिमाचल में इस बार मानसूनी बारिश ने भयंकर तबाही मचाई। जुलाई में शुरू हुई बारिश ने पूरे प्रदेश में सबकुछ तहस-नहस कर के रख दिया। सरकारी आंकड़ों की मानें तो अभी तक प्रदेश में 12 हजार करोड़ रुपये से अधिक का नुकसान हो चुका है। शिमला, कुल्लू, मंडी, मनाली, चंबा और कांगड़ा जिलों में भारी बारिश, भूस्खलन और बादल फटने से भयंकर तबाही मची है। हिमाचल प्रदेश में इस मानसून में तीन बार भारी बारिश हुई। सबसे पहले 9 और 10 जुलाई को मंडी और कुल्लू जिलों में बड़े पैमाने पर तबाही हुई। इसके बाद, 14 और 15 अगस्त को शिमला और सोलन जिले बारिश और भूस्खलन से प्रभावित हुए। चलिए अब आपको सिलसिलेवार तरीक से बताते हैं कि हिमाचल में भूस्खल और बादल फटने से कब-कब तबाही मची।
शिव मंदिर में भूस्खलन के कारण भयंकर तबाही मची
शिमला के समरहिल इलाके में स्थित शिव मंदिर में भूस्खलन के कारण भयंकर तबाही मची। भूस्खलन उस समय हुआ जब मंदिर पर अचानक पहाड़ का बड़ा हिस्सा टूटकर गिर पड़ा। इस हादसे में अभी तक 17 लोगों की जान जा चुकी है। वहीं 15 से 20 लोग इस हादसे में घायल हुए। हादसे के बाद मुख्यमंत्री सुखविंदर सुक्खू ने मौके पर जाकर स्थिति का जायजा भी लिया।
शिमला की तरह ही हिमाचल के कुल्लू में भी हालात खराब हैं। गुरुवार सुबह आठ बजे कई मकान ताश के पत्तों की तरह ढह गए। गनीमत ये रही है कि हादसे से पहले सभी इमारतों को खाली करवा लिया गया था। इस हादसे में करोड़ों रुपयों का नुकसान हुआ है।
मंडी में भी भारी बारिश और भूस्खलन से हर तरफ तबाही का मंजर है। बीते दिनों मंडी के सराज विधानसभा क्षेत्र की तीन पंचायतों खोलानाल, कुकलाह और कशौड़ में लैंडस्लाइड ने स्थानीय लोगों को बर्बादी की कगार पर ला दिया। राजकीय वरिष्ठ माध्यमिक स्कूल कुकलाह, शारटी व राजकीय प्राथमिक स्कूल खोलानाल के भवन को भारी क्षति पहुंची। यहां किसानों व बागवानों की सैकड़ों बीघा भूमि भूस्खलन की भेंट चढ़ गई। वहीं, मंडी के बगलामुखी माता मंदिर के पास पहाड़ी दरकने से 22 के करीब घर असुरक्षित हो गए हैं। यहां पहाड़ी दरकने से घर दो दो फीट तक धंस गए हैं।
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