न्यूज स्टॉपेज डेस्क
रांची। झारखंड हाई कोर्ट में मंगलवार को पूर्वी जमशेदपुर से विधायक और पूर्ववर्ती सरकार में मंत्री रहे सरयू राय के खिलाफ विनय कुमार सिंह द्वारा दाखिल जनहित याचिका पर सुनवाई के बाद अदालत ने याचिकाकर्ता को उचित फोरम में बात रखने की छूट देते हुए याचिका निष्पादित कर दी। मामला खाद्य आपूर्ति मंत्री पद पर रहते हुए सरयू राय पर भ्रष्टाचार के लगे आरोप का है। राज्य सरकार की ओर से अधिवक्ता पीयूष चित्रेश ने अपना पक्ष रखा।
विनय सिंह ने विधायक सरयू राय पर मंत्री रहते छोटे-छोटे रूप में भ्रष्टाचार करने और खाद्य आपूर्ति विभाग के मंत्री रहते हुए अपने एनजीओ युगांतर भारती समेत अन्य माध्यम से कल-कारखाना संचालकों को ब्लैकमेल करने का आरोप लगाया था। इस मामले में एसीबी से भी शिकायत की गयी थी। याचिकाकर्ता का कहना है कि मामले में कार्रवाई नहीं हुई। इसलिए उन्होंने झारखंड हाईकोर्ट का रुख करते हुए जनहित याचिका दाखिल की।
मंत्री पद पर रहते श्री सरयू राय ने अपने विभागीय पत्रिका आहार के प्रकाशन के लिए। मनोनयन के आधार पर झारखंड प्रिंटर्स का चयन करवाया। झारखंड सरकार की वित्तीय एवं कार्यपालिका नियमावली कहती हैं कि 15 लाख से अधिक की राशि से होनेवाले कार्य के लिए निविदा जरूरी है। इसके बाजवूद पूर्व मंत्री श्री सरयू राय ने मंत्री रहते मनोनयन पर झारखंड प्रिंटर्स को काम दिलवाया ।
– मनोनयन पर काम देने के लिए वित्तीय नियमावली के नियम 235 को शिथिल करने के लिए नियम 245 का सहारा लेना पड़ता है। साथ ही वित्त विभाग और कैबिनेट की सहमति जरूरी होती है। श्री सरयू राय ने न तो वित्त विभाग से सहमति ली न कैबिनेट से अपने स्तर से ही झारखंड प्रिंटर्स को काम देने का निर्णय ले लिया
– जनसंपर्क विभाग राज्य सरकार के हर विभाग के प्रचार प्रसार का काम करता है लेकिन श्री सरयू राय ने मंत्री रहते अपने विभाग के लिए अलग से पत्रिका का प्रकाशन कराया। इसके पीछे एकमात्र उद्देश्य सरकारी राशि का गबन करना था
– झारखंड प्रिंटर्स के चयन का आधार सिर्फ वार्तालाप था। यह बात फाइल में भी दर्ज है। मजेदार बात है कि पत्रिका में विभाग की योजनाओं के प्रचार से अधिक ज्यादतर पूर्व मंत्री का गुणगान होता था । इस पत्रिका के प्रकाशन से न तो सरकार को लाभ हुआ न जनता को ।