न्यूज स्टॉपेज डेस्क
मणिपुर से जान बचाकर किसी तरह वापस अपने जन्मभूमि पहुंचे सेलेस्टिन बाड़ा के परिवार को जिला प्रशासन के एक्टिव होने से बड़ी राहत मिली है। उक्त परिवार के 8 बच्चों का नामांकन तुमडेगी स्थित स्कूल में कराया गया। डीसी अजय कुमार सिंह के निर्देश के बाद बीडीओ अजय कुमार रजक और एसडीओ बादल राज की पहल पर स्कूल में नामांकन हुआ। वहीं, मणिपुर से वापस घर लौटने के बाद यह परिवार जमीन में सो रहा था। सर्पदंश के संभावित खतरे को देखते हुए बीडीओ अजय कुमार रजक की ओर से उनको फोल्डिंग बेड उपलब्ध कराया गया।
50 साल पहले मणिपुर बस गए थे सेलेस्टिन
सिमडेगा:- जिले के सदर प्रखंड के तुमडेगा गिरजाटोली निवासी सेलेस्टिन 50 साल पहले मणिपुर जा कर बस गए थे। लेकिन वहां भड़की दंगे की आग को देखते हुए अपने परिवार की जान बचाने के लिए वहां से किसी तरह जान बचाकर वापस अपने जन्मभूमि सिमडेगा लौटे। मणिपुर हिंसा के बाद की स्थिति का इससे अंदाजा लगाया जा सकता है कि 50 साल की बसी-बसायी गृहस्थी को छोड़कर सेलेस्टिन को वापस गांव लौटना पड़ा। वह कुकी समुदाय की अपनी बहू नेन्ग खोलमा और परिवार के 19 सदस्यों के साथ परेशानियों को झेलते हुए सिमडेगा लौटे।
जान बचाकर जंगल भागे, भीड़ ने जला दिया घर
सेलेस्टिन के अनुसार मणिपुर हिंसा की आग उनके गांव तक भी पहुंची। बहू और परिवार को बचाने के लिए वह घर बार छोड़कर जंगल में भाग गए। घर से भागने के दूसरे दिन पता चला कि उनके घर को जला दिया गया।सलेस्टीन ने बताया कि छोटे बच्चों के साथ जंगलों में छुप कर रहना पड़ा कुछ दिनों तक वह छोटे बच्चों और परिवार के अन्य सदस्यों के साथ पहाड़ों, जंगलों में छुपे रहे। बीस किलोमीटर पैदल चलकर उन्होंने आर्मी कैंप में रहनेवाले सिमडेगा निवासी जवान से संपर्क किया। सेलेस्टिन ने मणिपुर की मार समुदाय की युवती से की थी शादी दोनों के नौ बच्चे हुए, बेटों ने भी वहां की युवतियों से विवाह किया।
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