न्यूज स्टॉपेज डेस्क
सुप्रीम कोर्ट (SC) से मुख्यमंत्री हेमंत सोरेन ने अनुरोध किया है कि उनके खिलाफ किसी प्रकार की पीड़क कार्रवाई का आदेश ईडी को न दें। मुख्यमंत्री की ओर से ईडी के समन को चुनौती देनेवाली याचिका में यह भी कहा गया है कि ईडी को पूछताछ के दौरान ही किसी को गिरफ्तार करने का अधिकार है। ऐसे में ईडी की ओर से भेजे गए पूछताछ के लिए समन के मद्देनजर हमेशा गिरफ्तारी का डर बना रहता है। सीएम की ओर से कई गई रिट पिटीशन में ईडी की गतिविधि को राजनीतिक कारणों से चुनी हुई सरकार को अस्थिर करने वाली कार्रवाई भी बताया गया है।
एक नजर में समझें सीएम की याचिका में क्या है?
– पूछताछ के दौरान ही ईडी के पास किसी को भी गिरफ्तार करने का अधिकार है। ऐसे में बयान दर्ज करानेवाले पर हमेशा गिरफ्तारी का डर बना रहता है।
– राज्य की चुनी हुई सरकार को अस्थिर करने वाली कार्रवाई की तरह ईडी की गतिविधियां प्रतीत होती हैं।
-याचिकादाता का यह अधिकार है कि उसे बताया जाए कि उससे किस कथित अपराध के सिलसिले में साक्ष्य देने की जरूरत है।
– झूठे और मनगढ़ंत मामले में हिरासत में लेने की धमकी देकर सत्ताधारी दल से हाथ मिलाने के लिए याचिकादाता को मजबूर किया जा रहा है।
पीएमएलए 2002 की धारा 50 और 63 की वैधता को दी गई चुनौती
मुख्यमंत्री द्वारा सुप्रीम कोर्ट में दायर रिट पिटीशन में पीएमएलए-2002 की धारा 50 और 63 की वैधता को चुनौती दी गई। सीएम की याचिका में कहा गया कि पीएमएलए का यह प्रावधान संविधान द्वारा दिए गए मौलिक अधिकारों के खिलाफ है। आईपीसी के तहत किसी मामले की जांच के दौरान जांच एजेंसी के समक्ष दिये बयान की मान्यता कोर्ट में नहीं है, मगर दूसरी ओर पीएमएलए की धारा 50 के तहत जांच के दौरान एजेंसी के समक्ष दिए गए बयान की कोर्ट में मान्यता है। पीएमएलए की धारा 19 के तहत जांच एजेंसी को धारा 50 के तहत बयान दर्ज करने के दौरान ही किसी को भी गिरफ्तार करने के अधिकार प्राप्त है। इस कारण से पूछताछ व धारा 50 के तहत बयान दर्ज कराने के लिए समन जारी होने पर लोग डरे रहते हैं।
सत्ताधारी दल से हाथ मिलाने के लिए किया जा रहा मजबूर
सीएम की ओर से दायर याचिका में ईडी द्वारा बार-बार समन जारी किए जाने को राजनीतिक विद्वेष करार दिया गया। याचिका में यह भी कहा गया है कि उन्हें झूठे और मनगढ़ंत मामले में हिरासत में लेने की धमकी देकर सत्ताधारी दल से हाथ मिलाने के लिए मजबूर किया जा रहा। सीएम ने सुप्रीम कोर्ट से ईडी द्वारा जारी किये समन को स्थगित करने और याचिका के निष्पादित होने तक समन के आलोक में पीड़क कार्रवाई नहीं करने का आदेश देने का अनुरोध किया है।
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