न्यूज स्टॉपेज डेस्क
राज्य में निवास करने वाले 80 प्रतिशत गैर जनजाति सदान के मौलिक एवं संवैधानिक अधिकार से वंचित कर राज्य के 13 जिलों को अनुसूचित क्षेत्र घोषित कर एकल पद को आरक्षित कर दिया गया जो न्याय संगत नहीं है। इसको लेकर सदान विकास परिषद ने एकल पद को आरक्षित करने का विरोध करते हुए राज्यपाल को 13 सूत्री मांग पत्र सौंपा। दरअसल सदान विकास परिषद केंद्रीय समिति के केंद्रीय अध्यक्ष प्रो पांडे हिमांशुनाथ राय के निर्देशानुसार बुधवार को केंद्रीय समिति के पदाधिकारी विजय महतो प्रधान महासचिव, डॉ दिलीप सोनी, डॉ सत्य प्रकाश मिश्रा, मो० अब्दुल खालिक ने राज्यपाल संतोष कुमार गंगवार से मिलकर कर मांग पत्र सौंपा। जिसमें कहा गया है कि झारखंड राज्य में किसी भी हाल में एकल पद को आरक्षित नही किया जाए। एकल पद को आरक्षण से मुक्त रखा जाए।
सदान छात्रावास बनाएं, सदान आयोग का हो गठन
परिष्ज्ञद ने मांग की है कि राज्य सरकार आदिवासी छात्र के तर्ज पर सदान छात्र के लिए सदान छात्रावास बनाए। सदन आयोग का गठन करें। राज्य में जनसंख्या वृद्धि को देखते हुए यथा शीघ्र परिसीमन आयोग द्वारा अनुसूचित अनुशंसाओं को लागू कर सांसद एवं विधानसभा सदस्य प्रतिनिधियों का संख्या बढ़ाया जाए। गैर जनजाति सदानो को भूमिहीन बनाने की प्रक्रिया पर अविलंब रोक लगाई जाए।
केंद्र सरकार के पास अनुशंसा के लिए भेजें
परिषद के सदस्यों के अनुसार राज्यपाल ने उनकी बातों को गंभीरता पूर्वक सुनने के बाद कहा की यह मामला राज्य सरकार और केंद्र का है। आप लोग झारखंड राज्य के सांसद एवं विधायक को बोले संसद में एवं विधानसभा में इस मामले को उठाकर केंद्र सरकार के पास अनुशंसा के लिए भेजें। जहां बहुसंख्यक सदान है उसे पद को भी आरक्षित किया गया है इसको आरक्षण से मुक्त किया जाए।