न्यूज स्टॉपेज डेस्क
रांची नगर निगम क्षेत्र में गीला कचरा कम निकल रहा है। इसका असर करोड़ों की लागत से तैयार झिरी के बायो कम्पोस्ट प्लांट पर पड़ सकता है। यह कभी भी बंद हो सकता है। दरअसल प्लांट को जितना कचरा हर दिन चाहिए, उसका दस प्रतिशत भी नगर निगम की ओर से उपलब्ध नहीं कराया जा रहा है। कचरा उपलब्ध नहीं कराने का ठिकरा भी निगम के अधिकारियों ने जोनल, वार्ड व एमटीएस सुपरवाइजरों पर फोड़ा है। मिली जानकारी के अनुसार सभी को शनिवार को शो कॉज नोटिस जारी कर कहा गया है कि वे गीला कचरा एकत्र करने में लापरवाही व उदासीनता बरत रहे हैं। जबकि, हकीकत यह है कि अभी डोर-टू-डोर कूड़ा उठाने का काम एक एजेंसी देख रही है। इधर, गेल इंडिया द्वारा करोड़ो की लागत से तैयार बायो कम्पोस्ट प्लांट की दो में से एक यूनिट ही अभी चालू हुआ है। गेल इंडिया की ओर से भी वर्तमान स्थिति की जानकारी आला अधिकारियों को दी गई है। निगम की ओर से उत्पन्न स्थिति छानबीन करने पर पता चला कि दो माह पूर्व तक 20 से 25 टन गीला कचरा हर दिन मिल रहा था। मगर अब इसमें काफी गिरावट आ रही है। निश्चित रूप से प्लांट के सफल संचालन के लिए चिंता का विषय है।
हर दिन चाहिए 150 टन गीला कचरा
झिरी में लगाए गए बायो गैस संयंत्र के पूरी तरह से संचालन के लिए हर दिन 150 टन गीला कचरा के साथ 15 टन मवेशी का गोबर चाहिए। मगर काफी कोशिशों के बावजूद निगम की ओर से 10-11 टन गीला कचरा ही प्लांट को उपलब्ध कराया जा रहा है। जिसके कारण प्लांट पूरी क्षमता के साथ उत्पादन नहीं कर पा रहा है। बताते चलें कि वर्तमान में निगम के 53 वार्ड से हर दिन गली-मुहल्ले के घरों, कॉलोनी, अपार्टमेंट, होटल एवं रेस्तरां से जो कचरा मिल रहा है, वह 350 टन होता है। इसमें से 10 टन अलग किया हुआ गीला कचरा ही प्लांट के संचालन के लायक होता है।
हर दिन इतने खाद का होता उत्पादन
झिरी में लगाए गए दो बायो गैस संयंत्र को अगर जरूरत भर गीला कचरा मिले तो हर दिन पांच हजार किलो बायो सीएनजी, 24 हजार 990 जैविक सूखा एवं 33 हजार 200 लीटर द्रवित जैविक खाद का उत्पादन होता। बताते चलें कि निगम की व्यवस्था के मुताबिक उत्पादित बायो सीएनजी की बिक्री रिटेल आउटलेट से 56 रुपए प्रति किलो किया जाएगा। सूखा जैविक खाद दो रुपए कि.ग्रा. एवं लिक्विड खाद दस पैसा लीटर लोगों को सहजता से उपलब्ध हो जाता।