न्यूज स्टॉपेज डेस्क
बार-बार शिकायत और हिदायत के बावजूद यदि उनकी कार्यशैली में सुधार नहीं हो रहा है, तो वह रिम्स छोड़ दें और प्राइवेट प्रैक्टिस पर ही पूरी तरह से ध्यान दें। न्यूरोलॉजी विभागाध्यक्ष डॉ सुरेंद्र कुमार को चेतावनी देते हुए यह बातें बुधवार को रिम्स निदेशक प्रो (डॉ) राजकुमार मेहता ने कही। दरअसल बुधवार को रिम्स निदेशक निरीक्षण के लिए मेडिसिन वार्ड पहुंचे थे। यहां उन्होंने निरीक्षण के दौरान वार्ड की साफ-सफाई संतोषजनक पाई गई। लेकिन कुछ बेड गंदे पाए गए। जिसके लिए निदेशक ने प्रभारी को उन्हें जल्द से जल्द साफ कराने के निर्देश दिए।
ओपीडी के दोनों कमरे थे बंद
मेडिसिन वार्ड के निरीक्षण के बाद वापस जाने के क्रम में रिम्स निदेशक ने दोपहर करीब 12.15 बजे देखा कि न्यूरोलॉजी ओपीडी के बाहर भीड़ लगी है। उन्होंने पाया कि दोनों कमरे बंद थे। इस मामले की जानकारी लेने के लिए जब उन्होंने न्यूरोलॉजी विभागाध्यक्ष डॉ सुरेंद्र को कॉल किया तो वो कोई संतोषजनक जवाब नहीं दे पाए। भीड़ को देखते हुए निदेशक डॉ राजकुमार ने न्यूरोलॉजी ओपीडी में कुछ मरीजों को परामर्श दिया, जिनमें एक छोटा बच्चा भी शामिल था। सस्पेक्टेड ऑटोइम्यून इन्सेफेलाइटिस के मामले में शिशु रोग विभाग के चिकित्सक न्यूरोलॉजी परामर्श के लिए आए थे। इसके अलावा, डॉ राजकुमार ने न्यूरोलॉजी ओपीडी में अन्य मरीजों को भी परामर्श दिया।
एचओडी और संकायाध्यक्ष पहुंची ओपीडी
रिम्स निदेशक के ओपीडी में रहने के दौरान ही न्यूरोलॉजी के एचओडी डॉ सुरेंद्र और संकायाध्यक्ष डॉ शशि बाला सिंह ओपीडी पहुंचे। वहीं, ओपीडी में तैनात जूनियर रेजिडेंट से अनुपस्थिति का कारण पूछने पर उन्होंने बताया कि वह मेडिसिन वार्ड में राउंड ले रही थीं। इस पर रिम्स निदेशक ने संकायाध्यक्ष को निर्देश दिए कि जूनियर रेजिडेंट किसके निर्देशानुसार और कहां राउंड ले रही थी, इसकी जांच कर रिपोर्ट सौंपें। वहीं, गुस्से में उन्होंने एचओडी को यहां तक कह दिया कि कार्यशैली नहीं सुधर रही है तो रिम्स छोड़ें, प्राइवेट प्रैक्टिस पर ही ध्यान दें।