न्यूज स्टॉपेज डेस्क
लोकसभा और राज्यसभा में वक्फ संशोधन विधेयक पारित कराने पर एदार ए शरीया झारखंड के नाजिम-ए-आला मौलाना मुहम्मद कुतुबुद्दीन रिजवी ने केंद्र सरकार की कड़ी निंदा की। उन्होंने कहा कि वर्तमान में केंद्र की सत्ता में जो तत्व हैं, वे वास्तव में अंग्रेजों के गुलाम थे और स्वतंत्रता आंदोलन के विरोधी थे। इसलिए नरेन्द्र मोदी के नेतृत्व में सत्तारूढ़ नेताओं को भारत के विकास, समृद्धि और एकता से कोई सरोकार नहीं है। उनका असली लक्ष्य नफरत और तुष्टिकरण की राजनीति करके धन संचय करना और सत्ता में बने रहना है। लेकिन देशभक्तों और जिनके पूर्वजों ने देश को अंग्रेजों से आजाद कराने के लिए अपनी जान और संपत्ति कुर्बान कर दी, उन्हें इस बात का दुख है कि सोने की चिड़िया कहलाने वाला भारत अब विद्रोहियों के चंगुल में फंस गया है। यही कारण है कि भाजपा गठबंधन की सरकार सभी विकास कार्यों को छोड़कर भारत के संविधान की जगह मनुस्मृति लाना चाहती है। वक्फ संशोधन विधेयक इसी साजिश का हिस्सा है।
अवकाफ की लाखों एकड़ जमीन पर एनडीए सरकार की है बुरी नजर
नाजिम-ए-आला ने कहा कि आजादी से पहले और बाद में भारत के मुसलमानों ने अपनी जमीन और संपत्ति अल्लाह के नाम पर लोक कल्याण के लिए समर्पित की। जिस पर केंद्र की एनडीए सरकार की बुरी नजर है। अवकाफ की लाखों एकड़ जमीन पर कब्जा करने की नीयत से लोगों ने मंदिर मठ,धर्मशालाएं, सरकारी इमारतें व अन्य चीजें बना ली हैं। केंद्र सरकार वक्फ बोर्ड की बची हुई जमीन और संपत्ति को लूटकर देश के साथ गद्दारी करने वाले बड़े उद्योगपतियों और कॉरपोरेट घरानों को देना चाहती है। इसी तरह वह पूरे देश के ताने-बाने और एकता को छिन्न-भिन्न कर देश को पुनः अंग्रेजों का गुलाम बनाना चाहती है। ऐसा इसलिए है क्योंकि देश के मुसलमान,दलित, ईसाई,सिख और पिछड़े वर्ग उनके निशाने पर हैं।
आखिरी सांस तक इस विधेयक का करते रहेंगे विरोध
मौलाना कुतुबुद्दीन रिजवी ने कहा कि वक्फ संशोधन विधेयक, जो दोनों सदनों में पारित हो चुका है और अब राष्ट्रपति के पास जाएगा, जो इसे मंजूरी देंगी और यह कानून बन जाएगा। वास्तव में न केवल मुसलमानों के खिलाफ है बल्कि भारतीय संविधान के अनुच्छेद 14/25/26/28/29/30 का पूर्ण उल्लंघन है। नाजिम-ए-आला ने कहा कि मुसलमान अपनी आखिरी सांस तक इस विधेयक का विरोध करते रहेंगे और एदार ए शरीया जल्द ही सर्वोच्च न्यायालय का दरवाजा खटखटाएगा। उन्होंने कहा कि भारत गणराज्य के राष्ट्रपति को चाहिए कि वे घृणा, द्वेष, दुर्भावना,अधिकारों का हनन, अन्याय और जहर से भरे इस विधेयक को मंजूरी न देकर देश को कमजोर होने से बचाना चाहिए। नाजिम-ए-आला ने उम्मीद जताई है कि सुप्रीम कोर्ट जल्द ही इस बिल को निरस्त करने का फैसला सुनाएगा और देश के करोड़ों नागरिकों की उम्मीदों पर चार चांद लगाकर देश को बचाएगा।
संविधान के दायरे में रहकर आंदोलन के रूप में इस विधेयक का पुरजोर विरोध करें
मौलाना कुतुबुद्दीन रिजवी ने कहा कि यह विधेयक मस्जिदों, मदरसों,मकबरों,कब्रिस्तानों, खानकाहों,दरगाहों,करबला,इमाम बाडाऔर अन्य धार्मिक स्थलों को जबरन छीनने की साजिश है। इसलिए भारत के सभी लोगों, विशेषकर मुस्लिम समुदाय को संविधान के दायरे में रहकर आंदोलन के रूप में इस विधेयक का पुरजोर विरोध करना चाहिए। नाजिम-ए-आला ने लोकसभा और राज्यसभा में इस विधेयक का पुरजोर विरोध करने तथा इस काले विधेयक के खिलाफ वोट देने के लिए संसद सदस्यों और धर्मनिरपेक्षता में विश्वास रखने वाले संबंधित राजनीतिक दलों के प्रति आभार व्यक्त किया।
उन्होंने कहा कि जल्द ही एदार ए शरीया झारखंड राज्य स्तरीय कार्य कारणी की महत्वपूर्ण बैठक बुलाएगा और कार्ययोजना तैयार करेगी।