ब्रेन ट्यूमर-ब्रेन कैंसर के इलाज के लिए वेल्लोर जाने की जरूरत नहीं, मेडिका में भी हो रहा इलाज

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भगवान महावीर मेडिका हॉस्पिटल ने तीन सप्ताह में किए छह जटिल ब्रेन ट्यूमर सर्जरी

न्यूज स्टॉपेज डेस्क
ब्रेन ट्यूमर-ब्रेन कैंसर के इलाज के लिए अब सीएमसी वेल्लोर जाने की जरूरत नहीं है। उचित दर पर भगवान महावीर मेडिका सुपरस्पेशलिटी हॉस्पिटल में ही इलाज हो रहा है। यह बातें भगवान महावीर मेडिका सुपर स्पेशलिटी हॉस्पिटल के मेडिकल डायरेक्टर और मणिपाल हॉस्पिटल नेटवर्क के सदस्य डॉक्टर विजय कुमार मिश्रा ने कही। उन्होंने हॉस्पिटल परिसर में आयोजित प्रेस कॉन्फ्रेंस में कहा कि भगवान महावीर मेडिका सुपरस्पेशलिटी हॉस्पिटल, जो मणिपाल हॉस्पिटल्स नेटवर्क का हिस्सा है, ने उन्नत न्यूरोसर्जरी के क्षेत्र में एक नई मिसाल कायम की है। अस्पताल ने सिर्फ तीन सप्ताह के भीतर छह जटिल ब्रेन ट्यूमर सर्जरी को सफलतापूर्वक अंजाम देकर उन्नत चिकित्सा देखभाल का उत्कृष्ट उदाहरण प्रस्तुत किया है। हॉस्पिटल की ओर से इस उपलब्धि की घोषणा डॉ. विक्रम सिंह और डॉ. अमित कुमार (सीनियर कंसल्टेंट्स-न्यूरोसर्जरी विभाग), डॉ. सतीश शर्मा (कंसल्टेंट – मेडिकल ऑन्कोलॉजी) और डॉ. विजय कुमार मिश्रा (मेडिकल डायरेक्टर) की उपस्थिति में की गई। इलाज पाने वाले मरीजों में 6 वर्षीय बालक से लेकर वरिष्ठ नागरिक तक शामिल थे। इनमें से कई मरीज आर्थिक रूप से कमजोर पृष्ठभूमि से थे, जिन्हें या तो छूट दी गई या सरकारी स्वास्थ्य योजनाओं के तहत इलाज प्रदान किया गया।

जाने किसका हुआ ऑपरेशन
1.रांची की 58 वर्षीय गृहिणी को अचेत अवस्था में अस्पताल लाया गया था। उनके मस्तिष्क में एक बड़ा ट्यूमर था, जो अत्यधिक दबाव उत्पन्न कर रहा था। स्थिति गंभीर थी और ऑपरेशन करीब 10 घंटे चला। ऑपरेशन के बाद उन्हें कुछ दिन वेटिलेटर सपोर्ट पर रखा गया। धीरे-धीरे उन्होंने होश में आना शुरू किया और 12वें दिन अस्पताल से पूरी तरह सचेत अवस्था में डिस्चार्ज कर दिया गया, बस थोड़ी सी याददाश्त की समस्या शेष रही। उनकी बेटी, जो विदेश में डॉक्टर हैं, इलाज के दौरान लगातार अपनी मां के साथ संपर्क में बनी रहीं।

2.एक 30 वर्षीय युवती को चलने में परेशानी और एक कान से सुनाई न देने की शिकायत के साथ अस्पताल पहुंचीं। जांच में पता चला कि उनके मस्तिष्क के एक अत्यंत संवेदनशील हिस्से-ब्रेनस्टेम-के पास ट्यूमर था, जो कई महत्वपूर्ण शारीरिक कार्यों को नियंत्रित करता है। इस क्षेत्र में सर्जरी अत्यधिक जोखिम भरी होती है, लेकिन माइक्रोस्कोप और एंडोस्कोप जैसे उन्नत उपकरणों की सहायता से- जो रांची के कुछ ही अस्पतालों में उपलब्ध हैं- मेडिका की टीम ने सुरक्षित रूप से ट्यूमर को हटा दिया। उन्हें किसी प्रकार की गंभीर जटिलता नहीं हुई और वे दोबारा आत्मविश्वास के साथ चलने लगीं। आर्थिक रूप से कमजोर पृष्ठभूमि से होने के कारण मेडिका ने उनके इलाज की लागत में सहायता प्रदान की।

3.पेडियाट्रिक न्यूरोसर्जरी में भी चुनौतीपूर्ण स्थिति सामने आई, जब पश्चिम बंगाल के पुरुलिया से आए 6 वर्षीय बालक को मस्तिष्क के पिछले हिस्से में ट्यूमर की समस्या के साथ अस्पताल लाया गया। बच्चों में इस प्रकार की स्थितियां जानलेवा हो सकती हैं और तत्काल हस्तक्षेप की आवश्यकता होती है। बच्चों की ब्रेन सर्जरी अत्यंत संवेदनशील होती है, क्योंकि उनका शरीर छोटा और रक्त की मात्रा सीमित होती है। मेडिका में यह सर्जरी सफलतापूर्वक की गई और ट्यूमर कैंसरमुक्त पाया गया। बालक ने तेजी से स्वस्थ होकर केवल चार दिनों में अस्पताल से छुट्टी पाई।

4.रामगढ़ के 14 वर्षीय किशोर के मस्तिष्क के बाएं हिस्से में बड़े ट्यूमर के कारण शरीर के दाहिने भाग में लकवा (पैरालिसिस) के साथ भर्ती हुए थे। परिवार के पास इलाज का खर्च उठाने की क्षमता नहीं थी, इसलिए मुख्यमंत्री गंभीर बीमारी योजना के अंतर्गत उनके इलाज की व्यवस्था की गई। सर्जरी के बाद उन्होंने धीरे-धीरे अपने अंगों को हिलाना शुरू किया और अब स्वयं चलने में सक्षम हैं। उनका स्वास्थ्य निरंतर बेहतर हो रहा है। इन मामलों के अतिरिक्त, दो और उच्च जोखिम वाली ब्रेन ट्यूमर सर्जरी भी इसी अवधि में सफलतापूर्वक की गईं।

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मणिपाल ग्रुप की ओर से भी की जाती है मदद
प्रेस कांफ्रेंस के दौरान मेडिका हॉस्पिटल के मेडिकल डायरेक्टर डॉ विजय कुमार मिश्रा ने बताया कि जिन मरीजों का इलाज हुआ है उनमें एक मरीज को मुख्यमंत्री गंभीर बीमारी योजना का लाभ मिला। वही एक अन्य मरीज जो बेहद गरीब परिवार से थे। उनको मणिपाल ग्रुप की ओर से आर्थिक मदद की गई। जिस ऑपरेशन में 3.50 लाख रुपए खर्च होने थे। उसमें मरीज को सिर्फ डेढ़ लाख देना पड़ा। 2 लाख मणिपाल ग्रुप की ओर से आर्थिक मदद की गई।

प्रत्येक सर्जरी अपने आप में विशिष्ट चुनौती लेकर आई
इस उपलब्धि पर बात करते हुए डॉ. विक्रम सिंह ने कहा, “प्रत्येक सर्जरी अपने आप में विशिष्ट चुनौती लेकर आई-कहीं ट्यूमर की जटिल स्थिति, तो कहीं मरीज की उम्र और गंभीर अवस्था, और कई बार आर्थिक बाधाएं भी। लेकिन इन सबके बीच हमारे मरीजों का साहस और टीम के समन्वित प्रयास ने हर बार बेहतरीन परिणाम सुनिश्चित किए। ये केस इस बात को दर्शाते हैं कि उन्नत न्यूरोसर्जिकल देखभाल यदि समय पर और सहानुभूति के साथ दी जाए तो सबसे कठिन परिस्थितियों में भी जीवन में आशा लाई जा सकती है।”

बाहर जाने की आवश्यकता न पड़े
मेडिका हॉस्पिटल के मेडिकल डायरेक्टर डॉ. विजय कुमार मिश्रा ने कहा यह उपलब्धि इस बात की पुष्टि करती है कि हम उच्च गुणवत्ता वाली, सुलभ और मानवीय दृष्टिकोण वाली स्वास्थ्य सेवा देने के लिए प्रतिबद्ध हैं।हमारा उद्देश्य है कि झारखंड और इसके पड़ोसी राज्यों के लोगों को उन्नत चिकित्सा सेवाएं यहीं उपलब्ध हों, ताकि उन्हें राज्य के बाहर जाने की आवश्यकता न पड़े।

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