न्यूज स्टॉपेज डेस्क
झारखंड वक़्फ़ बोर्ड के एक प्रतिनिधिमंडल ने चाईबासा का दौरा किया। जिसमें बोर्ड के सदस्य इबरार अहमद, अधिवक्ता कलाम रशीदी व महबूब आलम अंसारी शामिल थे। । इस दौरे का मक़सद चाईबासा स्थित वक्फ की उस 1.3 एकड़ की क़ीमती लीज़ ज़मीन को बचाना था, जो कि पिछले कुछ अरसे से बदहाली का शिकार है। इस ज़मीन पर मदरसा, मकान, स्कूल और कई दुकानें मौजूद है। लेकिन लंबे समय से रख-रखाव और प्रबंधन में कोताही के चलते आज यह सम्पत्ति न सिर्फ़ अपनी हालत पर आंसू बहा रही है। बल्कि लीज़ की बकाया भारी रक़म के कारण राज्य सरकार द्वारा इसके अधिग्रहण का ख़तरा भी मंडरा रहा है।
वक्फ संपत्ति बचाने की अपील की
इस मामले को संजीदगी से लेते हुए वक़्फ़ बोर्ड झारखंड के प्रतिनिधिमंडल ने चाईबासा सर्किट हाउस में झारखंड सरकार के भू-सुधार व परिवहन राज्य मंत्री दीपक बिरुवा से मुलाक़ात की। इस मुलाक़ात में उन्हें पूरी स्थिति से अवगत कराया गया। साथ ही उनसे अपील की गई इस वक़्फ़ ज़मीन को अधिग्रहण से बचाया जाए। इसके सुचारू संचालन व संरक्षण हेतु आवश्यक प्रशासनिक मदद उपलब्ध कराई जाए।
… तो आने वाली नस्लें माफ नहीं करेंगी
वक्फ बोर्ड के सदस्य इबरार अहमद ने कहा कि हमारी कोशिश है कि वक्फ की इस अहम जायदाद को ना सिर्फ़ बचाया जाए। बल्कि उसे एक तालीमी व समाजी मरकज़ के तौर पर दोबारा आबाद किया जाए। अगर अब भी हमने ख़ामोशी इख़्तियार की, तो आने वाली नस्लें हमें माफ़ नहीं करेंगी। वहीं, अन्य सदस्य अधिवक्ता कलाम रशीदी ने कहा कि झारखंड वक्फ बोर्ड राज्य की सभी वक्फ संपत्तियों के प्रति गंभीर है जिसका बहुत जल्द कागजात इकट्ठा कर डिजिटलीकरण कराया जाएगा। जो भी संपत्ति अतिक्रमित है उसे कानूनी प्रक्रिया के तहत अतिक्रमण मुक्त कराने की कोशिश की जाएगी। वहीं, बोर्ड के एक अन्य सदस्य महबूब आलम ने कहा वक़्फ़ बोर्ड की यह पहल समाज में जागरूकता बढ़ाने और वक़्फ़ सम्पत्तियों के संरक्षण के लिए जरूरी है।
तहज़ीब और तरक़्क़ी का एक ज़रिया जरिया है
प्रतिनिधिमंडल में मौलाना आज़ाद ह्यूमेन इनिशिएटिव (MAHI) के हाजी नवाब व ख़ालिद सैफुल्लाह भी शामिल रहे। सभी ने एकमत होकर ज़ोर दिया कि यह वक़्फ़ सम्पत्ति केवल ज़मीन का टुकड़ा नहीं बल्कि तालीम तहज़ीब और तरक़्क़ी का एक ज़रिया है। जिसे सहेजना हम सब की सामूहिक ज़िम्मेदारी है।